उम्र-दराज़ - Naweentam

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Friday, June 18, 2021

उम्र-दराज़

असल की तलाश मे अक्सर लोग असल ही छोड़ आते है

एक गुलाब कि चाह मे सारी की सारी फसल छोड़ जाते है ।



यैसे भि किसी को क्या अपन्ना, 

अपनो से हि मुँह मोड़ लिया जाए ।

बैशखियों को ख्यालत मे, 

दरख्त छांव को तन्हा छोड़ दिया जाए ।।


जवां हो अभि, 

बेशक तुम्हे भि उम्र-दराज़ होना ही पड़ेगा ।

जिस नराजगी पे तुम नराज हाे, 

नराज हो कर एक दिन सब खोना ही पड़ेगा ।।


कितनी असानी से कैह देते हाे

उसने जिम्मेदारी से आगे तुम्हारे लिए किया हि क्या है ?

खुद कि जिम्मेदारी कि जो तुम्हे सम्झ होता, 

जान पाते, अभी अभी तो चलना सिखा है ,

तुम ने अभी जिया हि क्या है ?

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